Tuesday, 20 March 2012

हिन्दू शास्त्र के अनुसार ब्रह्माण्ड की तीन चक्रीय स्थितियां होती है स्रष्टि, संचालन एवं संहार !
जो चक्रिये अवस्था में अनंत काल तक चलता रहता है ! प्रत्येक अवस्था एक ईश्वर के द्वारा नियंत्रित व संचालित होता है ! इसलिए ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश को त्रिदेव कहा गया है !
चूँकि भगवान् शिव इस चक्रिये अवस्था के संहारक अवस्था को नियंत्रित करते है एतएव इनको महादेव भी कहा जाता है !
उपरोक्त शिवलिंग चित्र तीनों अवस्थाओं को दर्शाता है शिवलिंग के तीन हिस्से होते है निचला आधार का हिस्सा जिसमे तीन स्तर होते है जो तीनों लोकों को दर्शाता है जिसके ब्रह्मा स्राजनकर्ता है !
मध्य भाग अष्टकोनिए गोल हिस्सा अस्तित्व अथवा पोषण को दर्शाता है वह विष्णु है !
एवं ऊपर का सिलेंडर नुमा हिस्सा चक्रिये अवस्था के अंत को दिखता है वह भगवान् शंकर है ! सदाशिव भगवान् शिव लिंग रूप में दर्शाए जाते है जो संपूर्ण ज्ञान के घोतक है !
भगवान् शंकर सभी चलायमान चीजों के आधार है इसलिए इनको ईश्वर भी कहते है ! भगवान् शंकर नृत्य काला के जनक भी है !

धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः।

अर्थात् "धर्म उसकी रक्षा करता है, जो धर्म कि रक्षा करता है"।

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